श्रीभगवानुवाच
मय्यावेश्य मनो ये मां(न्), नित्ययुक्ता उपासते।
श्रद्धया परयोपेता:(स्), ते मे युक्ततमा मताः॥12.2॥
The Blessed Lord said: With mind established in Me, ever steadfast in their devotion, endowed with the highest faith, those who worship Me, they are in my opinion, the best of yogis
भावार्थ : श्री भगवान बोले- मुझमें मन को एकाग्र करके निरंतर मेरे भजन-ध्यान में लगे हुए (अर्थात गीता अध्याय 11 श्लोक 55 में लिखे हुए प्रकार से निरन्तर मेरे में लगे हुए) जो भक्तजन अतिशय श्रेष्ठ श्रद्धा से युक्त होकर मुझ सगुणरूप परमेश्वर को भजते हैं, वे मुझको योगियों में अति उत्तम योगी मान्य हैं