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abhi7605 wrote this blog titled "gita chapter 12(11)"

अथैतदप्यशक्तोऽसि, कर्तुं(म्) मद्योगमाश्रितः।

सर्वकर्मफलत्यागं(न्), ततः(ख्) कुरु यतात्मवान्॥12.11

If you are not able to do My yoga taking refugee in Me, then renounce all actions and the fruits thereof, self-controlled.

 

भावार्थ : यदि मेरी प्राप्ति रूप योग के आश्रित होकर उपर्युक्त साधन को करने में भी तू असमर्थ है, तो मन-बुद्धि आदि पर विजय प्राप्त करने वाला होकर सब कर्मों के फल का त्याग (गीता अध्याय 9 श्लोक 27 में विस्तार देखना चाहिए) कर


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